राज्य के नीति निदेशक तत्व भारतीय संविधान की सबसे नवीन और अनूठी विशेषताओं में से एक हैं। अनुच्छेद 37 उनके उद्देश्य को स्पष्ट करता है। ये सिद्धांत शासन के लिए मौलिक हैं और इन्हें ध्यान में रखना राज्य का कर्तव्य होगा। लेकिन, मौलिक अधिकारों के विपरीत, नागरिक इन्हें लागू करने के लिए अदालतों का रुख नहीं कर सकते।
सबसे महत्वपूर्ण निर्देशक सिद्धांत वे हैं जो राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को लक्षित करते हैं। इनमें वे सिद्धांत शामिल हैं जो राज्य को असमानताओं को कम करने व धन के संकेंद्रण को रोकने के लिए (अनुच्छेद 38 व 39), श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने (अनुच्छेद 39 व 43) और समाज के कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए निर्देशित करते हैं (अनुच्छेद 46)। कुछ ऐसे भी निर्देशक सिद्धांतों को संविधान निर्माताओं द्वारा शामिल किया गया था जिन्हें आने वाली पीढ़ियों के विवेक पर छोड़ दिया गया था कि वे उन पर कार्य करें या नहीं। इनमें समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44), शराबबंदी (अनुच्छेद 47) और गोहत्या की रोकथाम (अनुच्छेद 48) के आदर्श शामिल हैं। अन्य सामान्य सिद्धांत भी हैं, जैसे कि राष्ट्रीय स्मारकों की सुरक्षा (अनुच्छेद 49), अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 51)।
मौलिक अधिकार या निर्देशक सिद्धांत:
कौन है ज्यादा महत्वपूर्ण?
एक ही सिक्के के दो पहलू होते हुए भी संविधान के लागू होते ही निर्देशक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों के बीच टकराव शुरू हो गया। न्यायालयों को मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की शक्ति दी गई थी, जिसके परिणामस्वरूप सरकार के हाथों में सीमित शक्तियां थीं। दूसरी ओर निर्देशक सिद्धांतों के प्रवर्तन ने विधायिका और कार्यपालिका को प्रधानता दी और उनका मानना था कि समाज के कल्याण के लिए निर्देशक सिद्धांतों का कार्यान्वयन अक्सर मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर सकता है। आरक्षण, भूमि सुधार और बैंकों के राष्ट्रीयकरण के मुद्दों पर तनाव उभर आया। विधायिका ने कई बार संवैधानिक संशोधन पारित किए, जिनमें से कई को कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया। 1980 के मिनर्वा मिल्स मामले में, एससी ने मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों के बीच एक ‘सामंजस्यपूर्ण संतुलन’ पेश करने की कोशिश की है।
क्या आप जानते हैं?
निर्देशक सिद्धांतों की अवधारणा आयरिश संविधान से प्रेरित है। इसके बाद घाना और नाइजीरिया ने भी भारत से अवधारणा को अपनाया।
This article was first published in the Rajasthan Patrika e-paper.
Read the earlier articles here:
Read the following articles here: