2021 कॉन्स्टिटूशन ऑफ़ इंडिया डॉट नेट के साथ

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11 March 2022
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2021 के पहले कुछ हफ्तों में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध को तेजी से स्वर पाते और तेज होते देखा गया। इसने काफी मीडिया एवं राजनीति का ध्यान आकर्षित किया। 2021 के हमारे पहले डेस्क ब्रीफ में हमने भारतीय इतिहास में किसान आंदोलनों का एक अवलोकन प्रदान किया और बताया कि इस तरह के साझे कृषि संघर्ष अक्सर खुद को बड़ी स्वतंत्रता और संवैधानिक सुधार आंदोलनों में बदल देती है।

किसानों का विरोध जो की अधिकांश समय तक दिल्ली की सीमाओं पर केंद्रित था उसने पुलिस से भिड़ते हुए और भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह पर प्रभाव डालते हुए 26 जनवरी को शहर के केंद्र में अपनी जगह बना ली। इकहत्तर साल पहले जब भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया था तो दिल्ली के मिजाज काफी अलग थे। हमने अपने पाठकों को उस समय की और भारत का एक संवैधानिक गणराज्य में बदलने पर दुनिया की प्रतिक्रिया की भावना देने की कोशिश की।

मार्च के महीने में हमने एक खास सीरीज के द्वारा महिला दिवस को मनाया। इसमें सोफिया दलीप सिंह की कहानी शामिल थी – जिन्हे खास तौर पर ‘सफोगेट प्रिंसेस’ के नाम से जाना जाता है, वे एक भारतीय महिला थी जिसने ब्रिटेन में महिलाओं के मतदान अधिकारों के लिए अभियान चलाया था। हम इनमें संविधान सभा की एकमात्र दलित महिला और सभा की सबसे कम उम्र की सदस्य दक्षिणायनी वेलायुधन को भी देखते है। दलित समुदाय के लिए राजनीतिक सुरक्षा के उपायों पर उनका एक अलग दृष्टिकोण था।

जब कोविड 19 की दूसरी लहर ने भारत पर कहर ढाया तब भारत की टीका- विहीन जनसंख्या के पास सुरक्षा के उपायों के नाम पर कुछ नहीं था। उसी समय में भारत ने धीरे धीरे अपना टीकाकरण अभियान शुरू किया। केंद्र सरकार की वैक्सीन -खरीद की नीति की संघवाद को कमजोर करने के कारण व्यापक आलोचना हुई। कोरोना के समय में संघवाद के नजरिए से देखने वाले लेख के माध्यम से हमने इस मुद्दे को उठाया

अगस्त के महीने में केंद्र सरकार पर राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर निगरानी रखने का आरोप लगाया गया। ‘पेगासस स्कैंडल’ ने संसद को हिलाकर रख दिया, सार्वजनिक बहस शुरू हुआ और भारतीय राज्य द्वारा नागरिकों के निजी पत्राचार और डेटा तक पहुंचने के बारे में कई चिंताओं को सही ठहराया गया। हमने भारतीय संविधान सभा में निजता के अधिकार को भारतीय संविधान में शामिल करने के प्रस्ताव के इर्द-गिर्द एक बहस को देखा

लगभग उसी समय , दुनिया 2021 टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार था। हमारे लिए बहुत खुशी की बात यह है कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता । हम अपने पाठकों को 1928 में वापस ले जाते है जब भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। टीम की कप्तानी संविधान सभा के सदस्य और भारत में आदिवासी अधिकार आंदोलनों के नेता जयपाल सिंह मुंडा कर रहे थे। सिंह ने विशेष रूप से ओलंपिक में भाग लेने के लिए सिविल सेवा प्राधिकरण की अवज्ञा करते हुए अपना भारतीय सिविल सेवा प्रशिक्षण छोड़ दिया था। उनकी निंदा की गई और आखिरकार उन्होंने पूरी तरह से अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सर्विस से जुड़े एक अहम मुद्दे की सुनवाई की । अनुच्छेद 335 राज्य को, प्रशासनिक दक्षता बनाए रखते हुए पदों और सेवाओं पर नियुक्ति करने में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व पर विचार करने का निर्देश देता है। हमने तर्क दिया कि इस अनुच्छेद के इर्द-गिर्द मौजूदा बहसों के विपरीत हमारे संविधान निर्माताओं ने सकारात्मक कार्रवाई और प्रशासनिक दक्षता को परस्पर विरोधी लक्ष्यों के रूप में नहीं देखा।

नवंबर में, भारत ने संवैधानिक सभा द्वारा संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में संविधान दिवस मनाया। हमने अपने पाठकों को संविधान दिवस की उस सभा की कार्यवाही की एक झलक प्रदान की।

This piece is translated by Bhawna Sharma & Rajesh Ranjan from Constitution Connect.

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